अगर अपने भूगोल विषय को अच्छे से पढ़ा होगा, तो आपने भाबर के बारे में अवश्य पढ़ा होगा की भाबर क्या होता है, इसका निर्माण कैसे होता है, साथ ही इसके उत्पत्ति से किसानों को क्या क्या नुकसान झेलना पड़ता है।
अगर आपको भाबर के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो कोई बात नही क्योंकि आज के आर्टिकल में हम आपको भाबर से जुड़े सभी सवालों का जबाब देने वाले है, तो चलिए शुरू करते है।
भाबर क्या है ? Bhabar Kya Hai
पहाड़ के ऊपर से निकली नदियाँ अत्यधिक वेग से नीचे गिरती हैं, जिससे पहाड़ों के चट्टानों का कटाव ( क्षरण ) होता है, और इन्हीं अवसादों को नदियाँ अपने साथ नीचे ले आती हैं और इन्हीं अवसादों का जमाव होने लगता है और यह प्रक्रिया वर्षों तक अनवरत रूप से चलती रहती है, जिससे अवसाद की बहुत मोटी परत जमा हो जाती है, और नदी इन्ही अवसादों के नीचे से बहने लगती है और ऐसे क्षेत्रों में नदियाँ प्रायः लुप्त दिखाई देती हैं। ऐसे क्षेत्रों को ही भाबर कहते हैं।
साथ ही भारत मे सिंधु नदी से तीस्ता नदी के क्षेत्र को भाबर कहते हैं।
भाबर का भारत में प्रसार
भारत में अनेक धरातलीय विषमताएं पायी जाती है, जिसमें पर्वत, पठार, मैदान, मरुस्थल, तटीय मैदान द्वीप समूह आदि आते हैं, इन्हीं विषमताओं के आधार पर भारत को निम्नलिखित भू-आकृतिक खंडो में विभाजित किया गया है। इस आधार से भाबर का भारत में विस्तार को आसानी से समझा जा सकता है।
(1) उत्तर तथा पूर्वी पर्वतमाला
यह पर्वत श्रृंखला उत्तर-पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश में नामचा बरवा तक विस्तृत है। इसे निम्नलिखित चार भागों में बांटा गया है :-
(1) ट्रांस हिमालय
(2) वृहत हिमालय
(3) लघु या मध्य हिमालय
(4) शिवालिक
(2) उत्तरी भारत का मैदान
यह मैदान सिंधु एवं गंगा – ब्रह्मपुत्र नदियों के जलोढ़ अवसादों से निर्मित है। इसका विस्तार 3000 किलोमीटर से भी अधिक है और लगभग 150 से 300 किलोमीटर तक फैला है। जिसे चार भागों में विभाजित किया गया है :-
(1) भाबर
(2) तराई
(3) बांगर
(4) खादर
भाबर की कुछ विशेषताएँ :-
ऊपर हमने Bhabar Kya Hai के बारे में जाना, अब हम इसकी कुछ विशेषताओं के बारे में जानते है।
1.भाबर की चौड़ाई 8 से 10 कि.मी. है।
2. यह क्षेत्र कृषि के लिए उपर्युक्त नही होता है।
3. इस भू-भाग में छोटी नदियाँ पत्थर, कंकड़, बारीक के ढेर के नीचे से प्रवाहित होने के कारण अदृश्य हो जाती हैं
4. भाबर के दक्षिण में दलदली क्षेत्र है, जिसे तराई कहते हैं।
भाबर का भू-आकृतिक व पर्यावरणीय प्रभाव
भाबर के निर्माण से एक बहुत बड़े क्षेत्र में अवसादी मैदान निर्मित होता है, इसके कारण नदियाँ विलुप्त दिखाई देती हैं लेकिन नदियाँ इन अवसादों के नीचे से प्रवाहित होती हैं, जिससे यहां का भौगोलिक बनावट बंजर मैदान के समान प्रतीत होता है ।
हालांकि यहां बड़े वृक्ष जिसकी जड़ें काफी गहरी होती हैं, ऐसे बड़े वृक्ष कही कही देखे जा सकते हैं।
भाबर के कारण जैव विविधता में भी कमी देखी जा सकती है, लेकिन भाबर के कारण भूमिगत जल का स्तर बढ़ता है और यह जल के वाष्पीकरण को कम करता है ।
भाबर में नही दिखाई देने वाली नदियाँ अचानक ही तराई में प्रकट होती हैं । चट्टानों के अपरदन व अपक्षय फिर उसके बाद इनके अवसाद का जमना भाबर के निर्माण का कारण है ।
भाबर से होने वाले नुकसान Disadvantages Of Bhabar
भाबर के बनने से कुछ नुकसान भी उठाना पड़ता है, जो आर्थिक हानि है। जैसे – ज़मीन के उपजाऊ नही होने के कारण वहां किसी भी प्रकार की फ़सल नही उगाई जा सकती और ना ही भाबर के आसपास के क्षेत्रों में कोई सघन जैव विविधता दिखाई पड़ती है।
चट्टानों के कटाव से बनी बजरी, रेत व अन्य कम्पोनेंट के फैलने से उस क्षेत्र में सोकपिट बनवाने की आवश्यकता नही पड़ती।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल में हमने Bhabar Kya Hai के बारे में पूरा विस्तार से जानने का प्रयास किया है।
हम आशा करते हैं, की आपके मन में भाबर से संबंधित जितने भी सवाल रहे होंगे, उन सभी सवालों के उत्तर इस आर्टिकल में हमने बताने का प्रयास किया है । उम्मीद है, कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा।