उर्दू भाषा की लिपि क्या है ? Urdu Bhasha Ki Lipi Kya Hai
1 min readआज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं, कि उर्दू भाषा की लिपि क्या है ? उर्दू की उप भाषाएं कौन सी है ? और उर्दू भाषा के साहित्यकार व कवि कौन है ?
यदि आपको इसके बारे में नहीं पता है, तो हमारे इस लेख के साथ पूरा अंत तक बने रहे, तो चलिए शुरू करते हैं।
उर्दू भाषा की लिपि क्या है ? Urdu Bhasha Ki Lipi Kya Hai
उर्दू भाषा की लिपि आमतौर पर ” नस्तालीक ” nstalik’ النستعليق, को माना जाता है। अगर आप को नस्तालीक लिपि के बारे में नही पता है, तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दे, कि नस्तालीक, nstalik एक अरबी, फारसी और इस्लामिक का ही एक रूप है।
नस्तालीक लिपि को इस्लामी कैलीग्राफी में लिखा जाता है। उर्दू भाषा को नस्तालीक लिपि में दाएं से बाएं, यानी कि left Side से Right Side की ओर लिखा जाता है।
क्या आपको मालूम है, कि फारसी भाषा को लिखने में भी नस्तालीक लिपि का उपयोग पूर्ण रूप से किया जाता है। नस्तालीक लिपि का जन्म तकरीबन चौदहवी- पंद्रहवीं शताब्दी के अंतराल में इरान में हुआ था।
अगर हम इसे समुदाय के नज़रिए से देखे, तो यह एक इस्लामिक लेखन की पद्धति भी है। इसका इस्तेमाल अरबी भाषा को लिखने में भी किया जाता है।
नस्तालीक लिपि का इस्तेमाल ईरान, दक्षिण एशिया, अरबी और तुर्की, जैसे इस्लामिक देशों के क्षेत्रों में मुख्य रूप से किया जाता है। यह अबजद प्रकार की लिपि होती है।
अब आपके मन मे यह ख्याल ज़रूर आया होगा, कि आखिर अबजद क्या है ? तो हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि, अबजद भी एक प्रकार की लिपि है। जिसमें किसी भी तरह के स्वर का इस्तेमाल नहीं होता है, इसमें केवल व्यंजन ही होते हैं और इनका उच्चारण भी काफी अलग होता है।
अबजद लिपि को लिखने के लिए पाठक को स्वर का अनुमान अपने से ही लगाना पड़ता है। और इस उर्दू भाषा के साथ – साथ फारसी और पंजाब की कुछ बोलियों को भी नस्तालिक लिपि में पूर्ण तरह से लिखा जाता है। तो कुछ इस प्रकार से उर्दू भाषा की लिपि नस्तालिक होती है।
उर्दू भाषा क्या है ?
ऊपर हमने आपको Urdu Bhasha Ki Lipi Kya Hai के बारे में बताया। चलिए अब जानते हैं, कि उर्दू भाषा क्या है।
दोस्तों, भारत में भाषाएं एक बहुत ही अहम भूमिका निभाती हैं, क्योंकि कई अन्य देशों के विपरीत, ऐसी कोई भी भाषा नहीं है, जो हर जगह काम करती हो।
प्रत्येक भाषा का अपना – अपना विशेष लगाव और जुड़ाव होता है, जो क्षेत्र की स्थानीय विशेषताओं और संस्कृति को उजागर करती है।
देश में कई भाषाएं संस्कृत से ली गई हैं, जैसे कि हिंदी, बंगाली, पंजाबी, गुजराती, आदि। हालांकि उर्दू, एक सामान्य या समान इंडो-आर्यन शब्दावली है, जो हिंदी का वाक्य -विन्यास है, लेकिन इसकी लिपि फारसी से ली गई है।
उर्दू के लिए लिपि एक तरह का लेखन है, जो हिंदी सहित कई अन्य भाषाओं के विपरीत दाएं से बाएं चलता है।
उर्दू, हिंदी की तरह, हिंदुस्तानी का एक रूप है, एक ऐसी भाषा जिसे उत्तरी भारत और पाकिस्तान द्वारा अपनाया गया था।
उर्दू भाषा की उत्पत्ति कुछ भाषाविदों ने तकरीबन 6वीं शताब्दी की शुरुआत में की है। हालांकि, उर्दू की उत्पत्ति के बारे में अलग-अलग विशेषज्ञों के अलग-अलग सिद्धांत हैं।
कुछ लोगों का मानना है, कि इसकी उत्पत्ति बृज भाषा से हुई है, जो पश्चिमी भारत में बोली जाने वाली एक बोली थी।
कुछ लोगों का मानना है, कि यह भाषा हरियानी से बहुत भीषण विकसित हुई है, जो दिल्ली सल्तनत शासन के दौरान व्यापक रूप से बोली जाती थी।
इसलिए, उर्दू के शुरुआती रूपों को कई अन्य मूल भाषाओं, जैसे खारी बोली या पुरानी हिंदी के रूप में नामित किया गया था।
यद्यपि तकरीबन 13 वीं से तकरीबन 18वीं शताब्दी तक भाषा को हिंदी या हिंदुस्तानी कहा जाता रहा, यह वास्तव में हिंदी और फारसी प्रभावों का एक साथ आना था।
देहलवी के रूप में भी जानी जाने वाली इस भाषा को कई सारे अलग अलग तरह से विशेषज्ञों द्वारा दिल्ली के आस पास के क्षेत्रों में स्थानीय बोलियों और फ़ारसी प्रभावों के Overlap में इसकी उत्पत्ति का पता लगाने के लिए माना जाता है। तो कुछ इस प्रकार से उर्दू भाषा है।
उर्दू शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई और उर्दू शब्द का इतिहास क्या है ?
ऊपर हम ने आप को उर्दू भाषा क्या है के बारे में बताया। चलिए आप जानते हैं, कि उर्दू शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई और उर्दू शब्द का इतिहास क्या है । इतिहास में उर्दू औपनिवेशिक शासन के दौरान उर्दू भाषा को बढ़ावा दिया गया था, जहां अंग्रेजों ने इसे हिंदुस्तानी कहा था।
उच्च वर्ग ने प्रशासनिक और आधिकारिक उद्देश्यों के लिए इस भाषा में लिखा और बोला गया था।
हालाँकि, देवनागरी जैसे बेहतरीन लिपि का उपयोग हिंदुओं द्वारा धार्मिक ग्रंथों के लिए किया गया था और इसी तरह मुसलमानों द्वारा अपने साहित्यिक ग्रंथों और आध्यात्मिक के लिए फ़ारसी, अरबी पाठ का उपयोग किया गया था।
भक्ति और सूफी आंदोलनों ने भी भाषा के विकास में मदद की। प्रत्येक ने अपनी विचारधाराओं और आध्यात्मिकता को आम जनता तक पहुंचाने और समझाने के लिए सभी तरह की शब्दावली का इस्तेमाल किया।
सूफी संतों ने हिंदवी को फारसी शब्दों से प्रभावित करना शुरू कर दिया, जबकि भक्ति संतों ने स्थानीय लोगों को शिक्षित करने के लिए संस्कृत का इस्तेमाल किया।
औपनिवेशिक काल के दौरान मिर्जा गालिब और अल्लामा इकबाल जैसे दिग्गज उर्दू कवियों ने अविस्मरणीय छंदों की रचना की। अंग्रेजों ने भी अपने सरकारी संस्थानों में मुस्लिम छात्रों को आकर्षित करने के लिए उर्दू पढ़ाना शुरू किया।
इस बीच, आर्य समाज ने फारसी-अरबी लिपि के उपयोग का जम कर के विरोध किया और भाषा को देशी देवनागरी लिपि में लिखने के लिए कहा।
धीरे-धीरे, जिस सहजता के साथ भाषा पहले मौजूद थी, वह फिर धीरे धीरे फीकी पड़ने लगी। देवनागरी लिपि के साथ ‘ हिंदी ‘ का उपयोग करने वाले हिंदुओं और फारसी – अरबी लिपि में लिखे गए,
‘ उर्दू ‘ के साथ पहचान करने वाले हिंदुओं के बीच विभाजन अधिक स्पष्ट हो गया। विभाजन के दौरान मतभेद की परिणति अपने चरम पर पहुंच गई।
उर्दू पाकिस्तान की आधिकारिक भाषा बन गई और आपको तो मालूम ही होगा, कि हमारे भारत मे यह आठवीं अनु सूची भाषा है। तो कुछ इस प्रकार से उर्दू भाषा की उत्पत्ति हुई है।
उर्दू की उप भाषाएं कौन सी है ?
ऊपर हमने Urdu Bhasha Ki Lipi Kya Hai के बारे में बात करी है, अब अगर हम उर्दू की उप भाषाएं की बारे में बात करे, तो उर्दू भाषा की कई सारी उप भाषाएं भी है, जिनमें से कुछ प्रमुख भी है। जैसे- दक्खीनी, खड़ी बोली, रेख्ता, दक्षिणी उर्दू भाषा तथा हिंदी।
क्या आप को मालूम है, कि उर्दू भाषा का व्याकरण लगभग पूरी तरह से हिंदी व्याकरण जैसा ही होता है, मगर इसके शब्द में बहुत अंतर होता है। तथा यह अन्य भारतीय भाषाओं से भी अच्छी ख़ासी मेल खाती हैं।
तो दोस्तों कुछ इस प्रकार से ही उर्दू भाषा की उप भाषाएं होती है।
उर्दू भाषा की साहित्य
उर्दू भाषा का साहित्य अन्य भाषाओं की तरह ही बहुत ही विशाल है। अमीर खुसरो नाकाम शख्स को उर्दू भाषा के अधिकार के कवियों में से एक माना जाता हैं, यानी कि इन्हें साहित्यकार भी माना जाता है।
उर्दू भाषा के ऐसे बहुत से प्रसिद्ध साहित्यकार और लेखक है, जो उर्दू भाषा में ही लगभग अपने सभी साहित्य लिखते थे और उसी में अपनी विचारधारा को प्रकट करते थे।
हम आपको समझने के लिए बता दे, कि सबसे पहले उर्दू साहित्य के इतिहासकार ” वली औरंगाबादी ” के द्वारा उर्दू भाषा के साहित्य में रचनाओं का आरंभ हुआ।
कई सारे इतिहासकारों का मानना है, कि शाहजहाँ ने तकरीबन 1648 वर्ष में भारत की राजधानी दिल्ली में शाहजहाँ नाबाद बसाया था । और ऐसा भी माना जाता हैं, कि इसके बाद राज दरबारों में फारसी के साथ-साथ ” ज़बान-ए-उर्दू-ए-मुअल्ला ” में रचनाएँ होने लगी।
इस भाषा और लिपि में हमेशा एक अलग तरह का भेद रहा हैं। राज्यसभाओ की भाषा पारसी तथा नीति भी पारसी थी, लेकिन उन लोगों ने खुद की रचनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए, जनता की भाषा तो दिखाने के लिए अपना ली, लेकिन वे अपनी यानी कि फ़ारसी लिपि में ही लिखते रहे।
उर्दू भाषा के साहित्यकार व कवि
दोस्तों, जैसे हिंदी भाषा के कई सारे बड़े बड़े साहित्यकार हुए है, ठीक उसी तरह से उर्दू भाषा में भी कई ऐसे प्रसिद्ध प्रसिद्ध साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपना नाम पूरे दुनिया भर में फैलाया है और ऐसे कवि भी हैं, जिनकी कविताएं आज भी पढ़ी जाती है।
अमीर खुसरो ने उर्दू भाषा को हिंदी, हिंदवी तथा ज़बाने देहलवी कहा था। क्या आपको मालूम है, कि दक्षिण के कुछ लेखकों और साहित्यकार ने उर्दू भाषा को ज़बाने अहले हिंदुस्तान ( भारत ) भी कहा है।
अमीर खुसरो तकरीबन 14 वी सदी के बहुत प्रसिद्ध शायर और कवि थे। उन्होंने उर्दू भाषा में ही कई सारे प्रसिद्ध प्रसिद्ध साहित्य की रचना भी करते थे।
वली औरंगाबादी को उर्दू साहित्य का इतिहासकार माना जाता है। यह कवि मुग़ल शासन-काल के जमाने के बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति थे।
उर्दू की एक प्रसिद्ध लेखक भी थे, जिनका नाम ” मोहम्मद हुसैन आजाद ” हैं। इनकी एक रचना ” आबे हयात ” काफी ज्यादा मशहूर हैं।
हम आपको एक बात और बता दे, कि मीर तक़ी मीर साहब तकरीबन 18 वीं सदी से मुग़ल काल के उर्दू के प्रसिद्ध कवि थे, इन्हें भी बहुत बड़े पद की दर्जा दिया गया था और उस समय इन्हें कविताओं का भगवान भी कहा जाता हैं।
अंतिम विचार, Conclusion
दोस्तों, हमें उम्मीद है कि अब आपको उर्दू भाषा की लिपि के बारे में पूरी जानकारी मिल चुकी हो गई और आप Urdu Bhasha Ki Lipi Kya Hai ( उर्दू भाषा की लिपि क्या है ? ) यह जान चुके होंगे, क्योंकि हमने इस आर्टिकल में इसके बारे में पूरा विस्तार से बात किया है।
इसके अलावा हमने इस आर्टिकल में आपको यह भी बताया है, कि उर्दू की उप भाषाएं कौन सी है ? और इसके अलावा की उर्दू भाषा के साहित्यकार व कवि कौन है ?
तो दोस्तों यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया है और आपको इस सवालों के बारे में जवाब मिल चुका है, तो कृपया आप हमे कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं, कि आपको हमारा यह लेख कैसा लगा।