आमतौर पर हम सभी अपने दैनिक जीवन में साबुन का इस्तेमाल रोज़ाना ही करते हैं और हमारे जीवन में इसका महत्व भी काफी ज्यादा है, क्योंकि साबुन के बिना तो हम नहाते तक नहीं हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं, कि साबुन में ऐसे कौन से तत्व मौजूद होते हैं, जिससे कि यह हमारे शरीर को पूरी तरह से साफ करता है।
यदि नहीं तो इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें, क्योंकि हम यहां आपको साबुन से जुड़े सभी तरह के प्रश्नों के उत्तर बहुत ही सरल भाषा में देंगे।
जैसे साबुन क्या है, साबुन कैसे बनते हैं और इसके क्या फायदे और नुकसान है ?
साबुन क्या है ? Sabun Kya Hai
साबुन एक ऐसा पदार्थ है, जो पानी में जाती धीरे धीरे घुलना शुरू हो जाता है और यह घुल कर हमारे कपड़ों और शरीर की त्वचा को साफ करता है।
इस पदार्थ का इस्तेमाल हम आमतौर पर अपनी दैनिक जीवन में रोज़ाना ही करते हैं। यह एक ऐसा पदार्थ है, जिसके बिना हम ना तो अपने कपड़े धो सकते हैं और ना ही हम स्नान कर सकते हैं, इसी कारण इस पदार्थ का महत्व हमारे दैनिक जीवन में अधिक है।
पोटेशियम लवल फैटी एसिड या सोडियम से साबुन को बनाया जाता है। जी हाँ और इसे बनाने की प्रक्रिया में Potassium Hydroxide और सोडियम जैसे क्षार के साथ 80 से 100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर प्रक्रिया करके साबुन को प्राप्त किया जाता है और इसी प्रकिया को साबुनीकरण की प्रक्रिया भी कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल कपड़ों को साफ करना और त्वचा पर लगी गंदगी को धोने के काम आता है।
साबुन दो तरह के होते हैं Types Of Sabun
पहला – कुछ साबुन ऐसे होते हैं, जिसका इस्तेमाल मनुष्य अपने शरीर की त्वचा को साफ करने के लिए करते हैं। यानी कि स्नान करना या त्वचा पर लगी गंदगी को साफ करना आदि।
दूसरा – इस वर्ग में ऐसे साबुन शामिल है, जिसका इस्तेमाल गंदे कपड़ों को साफ करने के लिए किया जाता है और ना केवल गंदे कपड़ों बल्कि बर्तन को साफ करने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जाता है।
साबुन के फायदे Benefits Of Sabun
दोनों ही तरह के साबुन के कई फायदे होते हैं, जिनके बारे में हम आज आपको यहां बताएँगे, जैसे कि:-
- नहाने वाले साबुन का इस्तेमाल लोग अपने शरीर की त्वचा को साफ करने के लिए करते हैं।
- प्राकृतिक रूप से साबुन जीवाणु रोधी होते हैं।
- शरीर से गंदगी और तेल को पूर्ण रूप से साफ करना।
- मुहांसों को रोकने में मदद करना।
- संक्षारक एसिड को हटाने का कार्य करना।
- कपड़ों में लगी गंदगी को अच्छी तरह से साफ करना।
- बर्तन धोने के कार्य में इस्तेमाल आना।
- बर्तन पर मौजूद बैक्टीरिया और जीवाणुओं को नष्ट करने में सहायता करना।
साबुन के नुकसान Disadvantages Of Sabun
ऊपर हमने जाना की Sabun Kya Hai ? अब हम साबुन के नुकसान के बारे में जानेंगे।
हालांकि, साबुन का इस्तेमाल करने से कुछ ज्यादा नुकसान मनुष्य के शरीर या कपड़ों में देखने को नहीं मिलते हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान हमारी पृथ्वी पर पड़ता है।
देहात में साबुन का इस्तेमाल करने से पृथ्वी पर मौजूद तमाम जल को प्रदूषित करता है, जिससे कि भविष्य में आने वाले मानव जीवन के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
हालांकि इस बात की चिंता किए बिना लोग साबुन का इस्तेमाल बे हिसाब हर चीजों में करते हैं।
साबुन का इतिहास क्या है ?
विज्ञान के अनुसार आज से करीब 2,300 साल पहले साबुन अस्तित्व में आया था। कहा जाता है, कि साबुन बनाने में रोमन साम्राज्य पारंगत था।
दरअसल भूमध्यसागरीय लोगो या आसान शब्दों में कहें तो ब्रिटानिया के सेल्ट्स ने रोमनों को इसका इस्तेमाल करना सिखाया था।
जानकारी के मुताबिक सेल्ट्स पौधों की राख और जानवरों की चर्बी को मिलाकर अलग-अलग आकारों में साबुन का निर्माण किया करते थे।
हालांकि उस समय इस बात की जानकारी पूर्ण रूप से नहीं थी, कि साबुन का इस्तेमाल साफ सफाई और धोने के लिए महत्वपूर्ण है।
लेकिन ग्रीक चिकित्सक गैलेन ने इस बात की पुष्टि की और दावा किया, कि साबुन का इस्तेमाल शरीर को साफ करने के लिए किया जा सकता है।
इतिहास के अनुसार आठवीं सदी में सबसे पहले अरब जानकार जाबिर इब्न हैयान उर्फ गेबर ने दावा किया था, कि साबुन को सफाई करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
उन्होंने कई जगह साबुन को साफ सफाई करने वाले के रूप में भी उल्लेख किया है। जिसके बाद मध्य युग के दौरान सबसे पहले मार्सिले में साबुन का उत्पादन किया गया और फिर जेनोआ और सबसे आखरी में साबुन का उत्पादन वेनिस में किया गया था।
हालांकि, उस समय तक मध्य यूरोप में साबुन को व्यापक रूप से इस्तेमाल नहीं किया गया था। 1662 में जर्मन की रहने वाला ए० लियो नामक व्यक्ति ने इटली से लेडी वाॅन श्रेनिट्ज को साबुन से भरा एक पैकेट भेजा। जिसमें उन्होंने साबुन को इस्तेमाल करने के बारे में विस्तृत जानकारी भी दिया।
इतिहास के अनुसार 12 वीं शताब्दी की शुरुआती समय में सबसे पहले अंग्रेजी साबुन बनाने का कार्य ब्रिस्टल में शुरू किया गया। जिसके बाद 13वीं और 14वीं शताब्दी में साबुन बनाने वाला एक छोटा समूह लंदन के चेक साइड पड़ोस में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा।
उस समय साबुन निर्माताओं को कर के रूप में शुल्क देना पड़ता था, जो कि नेपोलियन युद्ध के बाद कर बढ़ कर 3 पेंस प्रति पाउंड हो गया था।
साबुन और डिटर्जेंट के बीच क्या अंतर है ?
हालांकि साबुन का इस्तेमाल भी कपड़े धोने के लिए किया जाता है और डिटर्जेंट का इस्तेमाल भी लोग कपड़े धोने में करते हैं। लेकिन इन दोनों के काफी अंतर देखने को मिलते हैं। यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है, तो नीचे बताए गए बातों को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- साबुन का इस्तेमाल नहाने के कार्य में आता है, हालांकि इसका इस्तेमाल लोग कपड़े धोने और बर्तन धोने में भी करते हैं। लेकिन डिटर्जन का इस्तेमाल केवल कपड़ों को साफ करने के लिए ही किया जाता है।
- साबुन पानी के साथ आसानी से घूलता नहीं है, जबकि डिटर्जन पानी में डालते ही घूल जाता है।
- साबुन में किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ नहीं मिलाए जाते हैं, ताकि त्वचा खूबसूरत और मुलायम रहे। लेकिन डिटर्जन में हानिकारक और रासायनिक पदार्थ मिलाए जाते हैं, ताकि कपड़ों में मौजूद बैक्टीरिया और कीटाणुओं को नष्ट कर सकें।
- साबुन प्रायः: अच्छी क्वालिटी के और अलग-अलग तरह के वसा और तेल के मिश्रण से बनाए जाते हैं। जबकि डिटर्जन को बनाने के लिए सस्ती और लो क्वालिटी के तेल और वसा का इस्तेमाल किया जाता है।
- साबुन कई तरह के बनाए जाते हैं, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग कार्यों में किया जाता है। लेकिन डिटर्जन का इस्तेमाल केवल कपड़ों को धोने और साफ करने के लिए ही किया जाता है।
निष्कर्ष :
उम्मीद करते हैं, कि आपको आज का यह लेख Sabun Kya Hai काफी फ़ायदेमंद लगा हो, यदि आपको यह लेख पसंद आया है और यदि इस लेख से आपको काफी कुछ सीखने को मिला है, तो इसे जितना हो सके उतना शेयर करें और यदि इस विषय से संबंधित कोई और जानकारी चाहिए तो नीचे कमेंट अवश्य करें।