Aaj Chand Ki Kitni Tarikh Hai

1443, उर्दू कैलेंडर के अनुसार आज चाँद की कितनी तारीख है ? Aaj Chand Ki Kitni Tarikh Hai

अगर आपसे कोई पूछे, कि आज चाँद की कितनी तारीख है ? तब आपको समझ जाना है, कि यह व्यक्ति मुस्लिम धर्म का अनुयायी है।

मुस्लिम धर्म में उनके पर्वों व त्यौहारों की गणना चाँद पर आधारित होती है। क्योंकि मुस्लिम धर्म में चांद को बहुत पवित्र माना जाता है, इसीलिए इस धर्म के लोग चंद्रमा को अपने झंडों में या मंदिरों में धर्म चिन्ह के रूप में रखते हैं।

आज के इस आर्टिकल में हिज्री कैलेंडर के बारे में जानने का प्रयास करेंगे साथ ही Aaj Chand Ki Kitni Tarikh Hai है उसे भी बताएँगे। इस लेख में हम मुस्लिम पंचांग के महीनों के नाम और उनका महत्व को समझने का प्रयास करेंगे।

उर्दू कैलेंडर के अनुसार आज चाँद की कितनी तारीख है ? Aaj Chand Ki Kitni Tarikh Hai

इस लेख को लिखते समय चाँद की आज तारीख भारत में 8 जु अल-कादा 1443 है। चाँद की गणना करके मुस्लिम पंचांग या हिज्री कैलेंडर का निर्माण करते हैं।

इन कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, वैसे तो ग्रेगोरियन कैलेंडर सौर गणना पर आधारित होती है और मुस्लिम धर्म में उनके त्यौहार व पर्व चाँद पर आधारित है।

मुस्लिम कैलेंडर के वर्ष को लिखते समय वर्ष के बाद में AH अन्नो हिज्री या H हिज्री लिखते हैं, जैसे अंग्रेजी में 2022 वाँ साल चल रहा है वैसे ही मुस्लिम कैलेंडर में 1443 AH जारी है।

बीते महीने माह के पहले दिन नया चाँद नही देखा गया, इसलिए महीने का पहला दिन उसके बाद आया और इसकी घोषणा हिलाल कमेटी अजमेर और इमारत सरिया हिन्द ने की।

इस्लामी पंचांग का निर्माण

570 ई में यमन गवर्नर अब्रहा जो अकसुम साम्राज्य के थे, जो उस समय इतथियोपिया का हिस्सा हुआ करता था। अब्रहा ने मक्का के काबा शहर पर आक्रमण कर दिया वास्तव में अब्रहा कैस्तव धर्म से संबंधित था, जो दूसरे धर्म के लोगों को खत्म कर देना चाहता था या अपने में मिला लेना चाहता था।

इसी इरादे से उसने काबा पर चढाई की थी और अपनी पूरी सैन्य शक्ति इस युध्द में झोंक दी थी, जिसमें हाथियों के दस्ते भी शामिल थे, लेकिन काबा को जीत नही सका उसको हार का सामना करना पड़ा और वापस अपने राज्य में लौटना पड़ा, लेकिन इस युध्द की भारी कीमत अब्रहा ने चुकाई।

इस वर्ष को ही मुस्लिम धर्म में ” आम्म अल फील ” के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है – हाथियों का साल, इस वर्ष को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। बाद में अरबों ने अपना कैलेंडर बना लिया जो मुस्लिम धर्म के लोगों द्वारा मान्य रहा जो अरब में रहते हैं।

जिनके कैलेंडर में पहले महीने की शुरुआत ” आम्म अल फील ” से होती थी। इस घटना का वर्णन कुरान के सुरा “अल-फील” में है।

इस्लामिक तारीख का निर्धारण

हिज्री कैलेंडर में महीने के अंत में ही पता चलता है, कि यह महीना 30 दिनों का होगा या 29 दिनों का क्योंकि हिज्री कालदर्शक में महीना 29 या 30 दिन का होता है।

जैसे 29 दिन के शाम को सूर्य ढलने के बाद यदि नया चाँद दिख गया, तो वह महीना 29 दिन का ही होगा और यदि नया चाँद नही दिखा तो यह महीना 30 दिनों का होगा। और यह महीने की 30 तारीख होगी।

वैसे तो हर साल 10 या 11 दिन कम होते हैं, हिज्री कैलेंडर में और इसीलिए मुस्लिम पर्व प्रत्येक साल दूसरे-दूसरे तारीख को आता है। 32 वर्ष बाद यह कैलेंडर तारीखों को पुनः रिपीट करता है। जैसे आज 6 जून को रमज़ान है, तब अगले 32 साल बाद 6 जून को ही रमज़ान होगा।

इस्लामिक कैलेंडर और ग्रेगोरियन कैलेंडर में अंतर

इस्लामिक कैलेंडर या हिज्री कालदर्शक में चांद के आधार पर तिथियों की गणना होती है, इसके उलट अंग्रेजी कैलेंडर में सूर्य की परिक्रमा के आधार पर तिथियों और पर्वों की गणना होती है।

साथ ही ग्रेगोरियन कैलेंडर में एक वर्ष 365 या 366 दिन का होता है और महीना 30, 31 या 29 का होता है, जबकि हिज्री पंचांग में 1 वर्ष 355 या 354 दिन का होता है और एक महीना 29 या 30 दिन का होता है।

इससे हमें पता चलता है, कि ग्रेगोरियन कैलेंडर व इस्लामी कैलेंडर में प्रत्येक वर्ष 10 से 11 दिन का अंतर होता है।

इस्लामी महीनों के नाम एवं संक्षिप्त परिचय

1. पहला महीना – मुहर्रम

इस्लामी कैलेंडर में नया साल प्रत्येक मुहर्रम की पहली तारीख को होती है और मुहर्रम का महीना ही हिज्री कालदर्शक का पहला महीना होता है। वैसे मुहर्रम का शाब्दिक अर्थ देखा जाए, तो इसका मतलब निषिध्द और अंग्रेजी में forbidden होता है।

कुरान में मुहर्रम महीने का उल्लेख स्वयं पैगंबर मुहम्मद साहब ने की है इसलिए इसे बहुत अधिक पवित्र महीना मुस्लिम धर्म में माना जाता है। कुरान में पैगम्बर मुहम्मद ने चार सबसे पवित्र महीनों के उल्लेख किया है जिनमें

  1. ज़ु अल-क़ादा
  2. ज़ु अल-हज्जा
  3. मुहर्रम
  4. रज्जब

मुस्लिमों में रमजान के रोज़ा को सबसे अधिक पवित्र माना जाता है इसके अलावा मुहर्रम के रोजे को बाकी अन्य सभी महीनों के रोजे से बेहतर और पवित्र माना जाता है। प्रत्येक मुहर्रम का दसवाँ दिन आशूरा कहलाता है।

मुहर्रम के दसवें दिन अर्थात आशूरा को ही पैगंबर मुहम्मद साहब अपने साथियों के साथ मदीना गए थे अर्थात इसी दिन को हिजरत कहा जाता है और यही से हिज्री संवत का आरम्भ हुआ। पैगंबर मुहम्मद साहब ने इसी दिन रोज़ा रखने के लिए सभी मुस्लिम धर्मावलम्बियों को निर्देश दिए। इसलिए इस महीने में रोज़ा रखना बहुत पवित्र माना जाता है।

2. दूसरा महीना – सफ़र

दूसरा महीना मुस्लिम धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण था पहले के समय में क्योंकि इस महीने कोई त्यौहार या पर्व नही रखा जाता मुस्लिम पंचांग के अनुसार तो ऐसा क्या है इस महीने इसे समझने के लिए हमें इस शब्द के अर्थ को समझना होगा।

सफर शब्द का अर्थ है शून्य या ख़ाली इस महीने अरब में घर खाली होते थे, क्योंकि यह युद्ध का महीना होता है – जिसमें सभी मुसलमान अपने युद्ध स्थल में वापास आ जाते थे। इस महीने का नाम सफर उल – मुज़फ्फर भी है।

  1. रबी अल-अव्वल
  2. रबी अल-थानी
  3. जमाद अल-अव्वल
  4. जमाद अल-थानी
  5. रज्जब या रजब
  6. शआबान
  7. रमजा़न या रमदान
  8. शव्वाल
  9. ज़ु अल-क़ादा या ज़ुल क़ादा
  10. ज़ु अल-हज्जा या ज़ुल हज्जा

कुरान में चार महीनों को सबसे पवित्र माना गया है।

11वां महीना, 12वाँ महीना, पहला महीना व 7वाँ महीना।

निष्कर्ष :-

हमने Aaj Chand Ki Kitni Tarikh Hai के बारे में पूरा विस्तार से जानने का प्रयास किया है, इसके इतिहास को भी समझने की कोशिश की है।

यदि अभी भी आपके मन में इससे सम्बन्धित कोई प्रश्न है, तो आप हमें कमेंट या मेल कर सकते हैं। हम आपके सभी प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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