हिंदी भाषा हमारी राष्ट्रभाषा है, क्योंकि यहां के ज्यादातर लोग हिंदी भाषा बोलते हैं। वर्तमान परिवेश को देखते हुए, आज अंग्रेजी का चलन चल रहा है, परंतु भारत की सभ्यता तथा संस्कृति के अनुसार आज भी हिंदी भाषा को महत्व दिया जाता है।
आज हम इस लेख में आपको हिंदी का जनक कौन है ? तथा हिंदी को राष्ट्रभाषा कब बनाया गया था ? इसके बारे में आपको विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे।
यह लेख इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हिंदी भाषा हम बचपन से ही बोलना सीख जाते हैं तथा हिंदी एक ऐसी भाषा है, जो बहुत आसानी से सीखी जा सकती है।
हमें जितना ज्यादा इस भाषा का ज्ञान होगा। हमें कई सारे अनुवाद तथा व्याकरण की जानकारी प्राप्त होगी।
हिंदी व्याकरण की दृष्टि से देखा जाए, तो यह एक पुरानी भाषा है। जिसकी उत्पत्ति के पीछे हमारे देश की प्राचीन भाषा संस्कृत का हाथ है।
हम प्रतिवर्ष राष्ट्रीय हिंदी दिवस भी मनाते हैं। आज हम इस लेख में आपको हिंदी भाषा के बारे में कुछ रोचक तथ्य भी बताएँगे आइए शुरू करते हैं।
हिंदी भाषा के जनक कौन है ? Hindi Ke Janak Kaun Hai
हिंदी भाषा के जनक का नाम भारतेंदु हरिश्चंद्र है। इन्हें आधुनिक हिंदी का भी जनक कहा जाता है।
जब मनुष्य की उत्पत्ति हुई, तो उन्हें किसी भी भाषा का ज्ञान नहीं था। वह केवल इशारों में बात किया करता था या फिर अपने हाव-भाव के माध्यम से सामने वाले व्यक्ति को अपनी बात कह पाता था, परंतु जैसे-जैसे मनुष्य विकसित होता गया, उसमें कई सारे गुण आते गए।
उनमें से भाषा की खोज भी शामिल है। सबसे प्राचीनतम भाषाओं में से एक है – हिंदी भाषा।
हिंदी भाषा का सामान्य परिचय
हिंदी भाषा हमारी सभ्यता की सबसे प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। इस भाषा का उद्गम 1000 साल पहले हो चुका था।
कहा जाता है, कि महा-भारत कथा रामायण के समय में हिंदी भाषा की खोज हो चुकी थी, परंतु इसको आधुनिक स्वरूप श्री भारतेंदु हरिश्चंद्र ने दिया है।
विश्व भर में लगभग 3000 से अधिक भाषाएं बोली जाती है। उनमें से प्रमुख हिंदी भाषा भी है। इसका एक अलग ही महत्व है।
हिंदी भाषा बोलते समय हम ज्यादातर शब्द संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग करते हैं। इसके साथ ही कुछ अरबी फारसी शब्द भी शामिल है। इस तरह से कई सारी भाषाओं के माध्यम से हिंदी भाषा का उद्गम हुआ है।
हिंदी भाषा की उत्पत्ति किस भाषा से हुई ?
ऊपर हमने आपको Hindi Ke Janak Kaun Hai के बारे में बताया। अब हिंदी भाषा की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है ? इसके बारे में जानते हैं।
हिंदी भाषा का इतिहास बहुत ही पुराना है। यदि हम इसे 1000 साल पुराना भी कहे तो गलत नहीं होगा।
हिंदी भाषा के साहित्यकार कहते हैं, कि यह खड़ी बोली तथा प्राकृत भाषाओं के समावेश के आधार पर बनाई गई है, परंतु कुछ साहित्यकार जैसे श्री चंद्रधर शर्मा जी ने हिंदी भाषा के बारे में बताया, कि इसमें संस्कृत भाषा के साथ साथ अपभ्रंश भाषा भी शामिल है।
इस तरह से अलग अलग साहित्यकारों ने इस भाषा को अलग पहचान दी है।
हिंदी भाषा का महत्व
पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है, यहां तक कि विदेशों में भी हिंदी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है परंतु हमारे देश में इसे राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है।
इसलिए सभी धर्म तथा जाति के लोगों को हिंदी भाषा बोलना अनिवार्य है तथा हमारे देश के सरकारी कार्य में ज्यादातर हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है।
जब अंग्रेज हमारे देश में शासन करते थे। तब हिंदी भाषा को पुरानी, पिछड़ी हुई भाषाओं के रूप में गिना जाता था परंतु आपको इस बात को जानकर हैरानी होगी, कि आयुर्वेदिक ज्ञान के ज्ञाता चरक ने भी हिंदी भाषा में अपनी रचनाएं तथा कई प्रकार के औषधि के बारे में ज्ञान दिया था।
यह बात अलग है, कि वैज्ञानिक रूप से हिंदी भाषा को कभी पहचान नहीं मिली। आज भी पूरे विश्व में अंग्रेजी भाषा में ज्यादा लोग बात करना पसंद करते हैं, परंतु यह जरूरी नहीं है, कि हिंदी भाषा जानने वाला व्यक्ति मूर्ख होता है।
ऐसे कई उदाहरण हैं, जिन्होंने हिंदी के माध्यम से नोबेल पुरस्कार हासिल किए हैं, जिनमें से एक रविंद्र नाथ टैगोर है।
वर्तमान समय में जैसे-जैसे इंटरनेट बढ़ता गया। वैसे-वैसे हिंदी भाषा में भी समाचार तथा गूगल के माध्यम से हिंदी भाषा को महत्व दिया गया।
किन किन देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है ?
भारत को उपमहाद्वीप कहा जाता है। यह इतना बड़ा है, कि इसमें 135 करोड़ जनसंख्या निवास करती है। इसमें कई बोली तथा भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं, परंतु ज्यादातर लोगों की संख्या हिंदी बोलने वालों की है।
यह भाषा भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कुछ देशों में भी बोली जाती है, जैसे दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, जर्मनी, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मॉरीशस आदि।
जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे, तब उन्होंने हिंदी भाषा में अपने लेख लिखना प्रारंभ कर दिए थे।
ज्यादातर लोग नेपाल में हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही ऐसे कई देश है, जहां पर हिंदी भाषा को प्राथमिकता दी जाती है।
हिंदी भाषा के विकास का क्रम क्या है ?
जैसा कि हम सब जानते हैं, किसी भी भाषा की उत्पत्ति तथा विकास का क्रम उसके ज्ञान तथा संस्कृति के आधार पर होता है। इसी तरह यह भाषा भी पुरानी भाषाओं के समावेश से बनाई गई है। इस भाषा का विकास इस क्रम में हुआ है:-
संस्कृत> पाली> प्राकृत> अपभ्रंश> अवहट> प्राचीन हिंदी> आधुनिक हिंदी
हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा कब मिला ?
ऊपर हमने आपको Hindi Ke Janak Kaun Hai के बारे में बताया। अब हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा कब मिला ? इसके बारे में जानते हैं।
हमारे देश में 2001 की जनसंख्या गणना के अनुसार लगभग 26 करोड़ लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं तथा ज्यादातर आबादी क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल करती है।
इतनी बड़ी आबादी में जब हिंदी का प्रयोग किया जाता है, तो जाहिर सी बात है, इसे राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलना चाहिए।
हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला। यह भारतीय संविधान के भाग 17 में इससे संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधान रखे गए हैं।
वर्तमान समय में यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रभाषा का अपमान करता है, तो उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
हिंदी दिवस कब मनाया जाता है ?
जब हिंदी भाषा को राष्ट्रीय दर्जा मिल रहा था। तब वह तारीख 14 सितंबर 1949 इसलिए प्रति वर्ष 14 सितंबर को ही हिंदी दिवस मनाया जाता है।
हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए पुरस्कार
हिंदी भाषा को प्रोत्साहन तथा ज्यादा से ज्यादा लोग इस भाषा का इस्तेमाल करने के लिए केंद्र सरकार कई तरह के पुरस्कार वितरण करती है।
इसके अंतर्गत राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं, निबंध, कला कृति आदि जैसे महत्वपूर्ण प्रतियोगिताएं कराई जाती है, ताकि लोग हिंदी के बारे में जान सकें।
यदि कोई हिंदी में साहित्य लिखता है, तो उसे भी प्रोत्साहित किया जाता है। उन लोगों को प्रोत्साहन करने के लिए सरकार निम्नलिखित पुरस्कार प्रदान करती है:-
- राजभाषा कीर्ति पुरस्कार
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राष्ट्र भाषा गौरव पुरस्कार
कैसे बनी हिंदी राष्ट्रभाषा ?
राष्ट्रभाषा बनने के पीछे काफी दिलचस्प कहानी है। जब 1947 में देश आजाद हुआ तो सबसे बड़ा मुद्दा यह था, कि भारत की राष्ट्रभाषा किसे बनाई जाए, क्योंकि भारत में सैकड़ों तरह की भाषा तथा बोलियाँ बोली जाती है।
जब संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हुई, हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया।
तब वह तारीख 14 सितंबर 1949 थी परंतु दक्षिण भारत के राज्य खास तौर पर तमिलनाडु में तेलुगू तथा तमिल भाषा बोली जाती है, इसीलिए दक्षिण भारत के लोग यह चाहते थे, कि तेलुगू या तमिल हमारे देश की राष्ट्रीय भाषा बने।
इसके बाद पंडित नेहरू तथा संविधान सभा के सदस्यों ने सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा का मूल्यांकन किया, तो पता चला कि ज्यादातर लोग हिंदी बोलते हैं।
1963 में राजभाषा कानून पारित किया गया। इसमें अंग्रेजी भाषा को इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी गई। इसके बाद 1967 में राजभाषा कानून में संशोधन किया गया। इस तरह से हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाया गया।
Conclusion
आशा करता हूं, मेरे द्वारा दी गई जानकारी Hindi Ke Janak Kaun Hai से संतुष्ट होंगे। इस लेख का उद्देश्य हिंदी भाषा के जनक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करना है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग हिंदी भाषा के बारे में जानकारी प्राप्त करें और अपने राष्ट्र भाषा के प्रति आदर तथा सम्मान करें।